“प्यार तो होना ही था” | love story in hindi |
राघव और अंजलि एक ही कॉलेज में पढ़ते थे। राघव हमेशा से एक बहुत ही साधारण लड़का था, जिसे अपने काम और पढ़ाई के अलावा कुछ नहीं सूझता था। उसे प्यार और रिश्तों में विश्वास नहीं था। दूसरी तरफ, अंजलि एक खुशमिजाज और हंसमुख लड़की थी, जो हर किसी से आसानी से घुल-मिल जाती थी। वे दोनों अलग-अलग क्लास में थे, लेकिन कॉलेज के कार्यक्रमों और दोस्तों के माध्यम से उनकी मुलाकातें होती रहती थीं।
राघव को अंजलि से मिलकर हमेशा अच्छा लगता था। अंजलि की मुस्कान और उसकी बातों में एक अजीब सी कशिश थी, जो राघव को बार-बार उसकी ओर खींचती थी। मगर राघव इसे प्यार नहीं, बस एक आकर्षण मानता था। वह खुद से कहता, “ये बस एक दोस्ती है, इससे ज्यादा कुछ नहीं।”
एक दिन कॉलेज के फेस्ट में, राघव और अंजलि को एक साथ डांस करना पड़ा। उस डांस के दौरान, राघव ने अंजलि की आंखों में एक चमक देखी, जिसने उसके दिल को छू लिया। मगर फिर भी, वह अपने भावनाओं को पहचानने से इनकार करता रहा। उसने अपने आप से कहा, “ये बस एक पल की बात है, प्यार जैसा कुछ नहीं।”
फेस्ट के बाद, राघव ने खुद को और व्यस्त कर लिया। वह सोचता था कि ज्यादा काम करने से वह इस “आकर्षण” से बच जाएगा। मगर अंजलि की हंसी, उसकी बातें और उसका साथ उसे हर पल याद आता था। राघव ने यह भी देखा कि जब अंजलि आसपास नहीं होती, तो उसे उसकी कमी महसूस होती थी। फिर भी, उसने अपने मन को यह विश्वास दिलाने की कोशिश की कि यह बस एक दोस्ती है।
समय बीतता गया। कॉलेज के आखिरी साल में, राघव और अंजलि का एक साथ प्रोजेक्ट आया। इस प्रोजेक्ट के दौरान, वे और करीब आ गए। राघव ने अंजलि की समझदारी, उसकी मदद करने की प्रवृत्ति और उसकी संवेदनशीलता को और भी करीब से जाना। अंजलि ने भी राघव के समर्पण, उसकी मेहनत और उसके शांत स्वभाव को समझा।
एक शाम, प्रोजेक्ट पर काम करते-करते, अंजलि ने अचानक से राघव से कहा, “तुम्हें कभी ऐसा लगता है कि हम दोनों के बीच कुछ खास है?” राघव कुछ देर तक खामोश रहा। उसने अपने दिल की धड़कन को सुना। उसे महसूस हुआ कि अंजलि के बिना उसकी ज़िंदगी अधूरी है। मगर उसने फिर भी खुद को संभाला और कहा, “मुझे नहीं पता।”
प्रोजेक्ट खत्म हुआ और कॉलेज का आखिरी दिन आ गया। विदाई समारोह के बाद, राघव ने अंजलि को अकेले में बुलाया। उसने अपने दिल की बात कहते हुए कहा, “अंजलि, मैं अब तक अपने आप से भागता रहा। मुझे लगता था कि ये प्यार नहीं, बस एक आकर्षण है। मगर अब समझ में आया है कि मैं गलत था। तुम्हारे बिना मेरी ज़िंदगी अधूरी है।”
अंजलि ने मुस्कुराते हुए कहा, “मुझे भी यही लगता था, राघव। मुझे भी तुम्हारी कमी महसूस होती है।” वे दोनों एक-दूसरे को देखकर मुस्कुरा उठे।
राघव ने अंजलि का हाथ थामते हुए कहा, “अब मैं समझ गया हूँ कि यह प्यार ही था, जो मुझे समझने में वक्त लगा।”
अंजलि ने राघव की आंखों में देखते हुए कहा, “प्यार होना ही था, राघव। और अब जब हम दोनों ने इसे स्वीकार कर लिया है, तो हम एक नई शुरुआत कर सकते हैं।”
इस तरह, राघव और अंजलि ने अपने दिल की बात एक-दूसरे को बताई और एक नए सफर की शुरुआत की। प्यार होना ही था, और अब वे दोनों इसके हर पल को जीने के लिए तैयार थे।
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ओंकार रॉय.
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