आज के समय में कई लोग रिश्तों में नकली भावनाओं का सहारा लेते हैं, यह व्यवहार सोशल मीडिया पर खासतौर पर दिखता है, जहां दिखावे के लिए लोग अपनी भावनाओं को बढ़ा चढ़ाकर पेश करते हैं, नकली प्यार या इमोशंस दिखाने का यह चलन एक रिश्ते को कमजोर बना सकता है क्योंकि पार्टनर में भरोसे की कमी आती है. जब ऐसा झूठ सामने आता है, तो यह न केवल दिल तोड़ता है, बल्कि व्यक्ति को रिश्तों और प्यार के प्रति असुरक्षित बना देता है, इसलिए रिश्तों में सच्चाई और ईमानदारी बेहद जरूरी है.
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प्यार में खुश रहने वाले जोड़े अक्सर वजन बढ़ा लेते हैं, इसका कारण यह है कि रिश्ते में सुरक्षा और आराम महसूस होने के कारण वे अपने शरीर पर पहले जितना ध्यान नहीं देते, पार्टनर के साथ भोजन का आनंद लेना और स्वस्थ आदतों की कमी भी इसका कारण हो सकता है, यह वजन बढ़ना अक्सर रिश्ते की संतुष्टि और खुशी का संकेत माना जाता है.
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जब कोई व्यक्ति खुद को पूरी तरह प्रकट नहीं करता या रहस्यमय बना रहता है, तो यह उसके प्रति आकर्षण को बढ़ा सकता है, इसका कारण यह है कि मानव मन स्वाभाविक रूप से उन चीज़ों के प्रति जिज्ञासु होता है, जिनका उत्तर तुरंत नहीं मिलता. उदाहरण के तौर पर यदि कोई व्यक्ति अपनी भावनाएं या विचार सीधे तौर पर न बताकर थोड़ा अनिश्चित व्यवहार करता है, तो सामने वाले के दिमाग में यह ख्याल आता है कि वह उन्हें समझने की कोशिश करे यह जिज्ञासा अक्सर आकर्षण में बदल जाती है.
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जब कोई व्यक्ति प्यार में होता है, तो उसका मस्तिष्क डोपामिन, ऑक्सीटोसिन और सेरोटोनिन जैसे रसायन छोड़ता है, जो खुशी और उत्साह का अनुभव कराते हैं, यह प्रक्रिया मस्तिष्क पर वैसा ही प्रभाव डालती है जैसा कोकीन जैसे नशे का होता है, यही कारण है कि प्यार में व्यक्ति उत्साहित, जोशीला और कभी कभी अतिउत्साही महसूस करता है. यह भावनात्मक लगाव को गहराई से बढ़ाता है।
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जब कोई व्यक्ति प्यार में होता है, तो उसका दिमाग बहुत सक्रिय हो जाता है, किसी खास के बारे में बार बार सोचने से एड्रेनालिन का स्तर बढ़ता है, जिससे नींद कम हो जाती है, प्यार में शुरुआती दिनों में यह स्थिति ज्यादा होती है, जब भावनाएं तीव्र होती हैं, हालांकि समय के साथ यह संतुलित हो जाता है, और व्यक्ति फिर से सामान्य नींद लेने लगता है.
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प्यार में डर का एक गहरा संबंध होता है, जब कोई व्यक्ति किसी से गहराई से प्यार करता है, तो उसमें कुछ खोने का डर या असुरक्षा की भावना आ सकती है, यह डर आमतौर पर भावनात्मक जुड़ाव की गहराई और रिश्ते की अहमियत के कारण उत्पन्न होता है. इस डर का सकारात्मक पक्ष यह है कि यह रिश्ते को बनाए रखने के लिए व्यक्ति को और अधिक सतर्क बनाता है, लेकिन यदि यह डर बहुत अधिक बढ़ जाए, तो यह रिश्ते में तनाव या गलतफहमियां पैदा कर सकता है.
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आजकल लॉन्ग टर्म रिश्तों की तुलना में शॉर्ट टर्म रिश्ते ज्यादा सामान्य हो रहे हैं, इसका एक बड़ा कारण यह है कि लोग अब अपनी स्वतंत्रता और व्यक्तिगत विकास को प्राथमिकता देते हैं, सोशल मीडिया और डेटिंग ऐप्स के कारण नए कनेक्शन बनाना आसान हो गया है, जिससे लोग अधिक विकल्पों के साथ प्रयोग करते हैं. शॉर्ट टर्म रिलेशनशिप में भावनात्मक लगाव की अपेक्षा कम होती है, और दोनों पार्टनर इसमें अपनी शर्तों पर जुड़ते हैं, हालांकि यह रिश्ते बाद में असुरक्षा और अस्थिरता का कारण भी बन सकते हैं.
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दिल टूटने का दर्द वास्तविक होता है, जब कोई रिश्ता टूटता है, तो हमारा मस्तिष्क शारीरिक दर्द के दौरान सक्रिय होने वाले हिस्से को सक्रिय करता है, इसके कारण तनाव हार्मोन बढ़ते हैं, जिससे थकान, अनिद्रा और भावनात्मक अस्थिरता होती है, यह दर्द गहरा हो सकता है, लेकिन समय और सही देखभाल से इसे ठीक किया जा सकता है.
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प्यार में जोड़े अनजाने में एक दूसरे के हावभाव बोलने के तरीके और व्यवहार को अपनाने लगते हैं, यह मिररिंग प्रक्रिया भावनात्मक जुड़ाव और समझ को दर्शाती है, जब जोड़े एक जैसा व्यवहार करते हैं, तो वे और अधिक करीब महसूस करते हैं, यह प्रक्रिया लंबे समय तक साथ रहने पर मजबूत हो जाती है और रिश्ते में एक खास तालमेल और सामंजस्य स्थापित करती है.
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