Pyar Mein Dhokha | प्यार में धोखा

Pyar Mein Dhokha | “प्यार में धोखा” | सच्ची कहानी |❤️‍🔥🧔❤️‍🔥

Pyar Mein Dhokha | “प्यार में धोखा” 💔|एक सच्ची घटना पर आधारित कहानी |

मेरा नाम रोहन है, और यह जो कहानी मैं लिख रहा हूँ, वह मेरी अपनी कहानी है। यह कहानी मेरे स्कूल के समय से शुरू होती है। तब मेरी मुलाकात मीनाक्षी नाम की एक लड़की से हुई। हम दोनों स्कूल में साथ पढ़ते थे और बहुत जल्दी ही अच्छे दोस्त बन गए। हम साथ पढ़ाई करते थे, और मुझे उसके साथ रहना बहुत अच्छा लगता था।

उस समय कुछ लड़कियों ने मुझे प्रपोज भी किया था, लेकिन मैंने उन्हें मना कर दिया, क्योंकि मेरा दिल तो मीनाक्षी के प्यार में था। लेकिन स्कूल खत्म होने के बाद हम दोनों बिछड़ गए। हमने अलग-अलग कॉलेजों में एडमिशन लिया और हमारे रास्ते वहीं से अलग हो गए।

मैंने एक अच्छे कॉलेज में एडमिशन लिया, लेकिन फिर भी कभी-कभी मैं उसे कॉल या मैसेज करता और उसके बारे में पूछता। कुछ समय बीतने के बाद हमारे बीच कॉल और मैसेज कम हो गए, और हमने एक साल तक एक-दूसरे से बात नहीं की। शायद आपको लग रहा होगा कि हमारे बीच कोई झगड़ा हुआ होगा, इसलिए हमने बात नहीं की होगी।

पर ऐसा कुछ नहीं था। स्कूल खत्म होने के बाद उसने मुझे कभी मैसेज नहीं किया। हमेशा मैं ही उसे मैसेज करता था। फिर एक दिन मेरे दोस्तों ने मुझसे कहा कि उसे तुम्हारे प्रति कोई दिलचस्पी नहीं है। अगर उसे भी तुम्हारे बारे में कुछ महसूस होता, तो उसने भी तुम्हें कॉल और मैसेज किया होता। लेकिन वह तुम्हें केवल एक दोस्त मानती है।

तब मैंने फैसला किया कि अब मैं उसे तब तक कॉल या मैसेज नहीं करूंगा, जब तक कि वह खुद मुझसे संपर्क न करे। अब मैं उसके कॉल या मैसेज का इंतजार करने लगा। मैं उसे हफ्ते में दो-तीन बार कॉल या मैसेज करता था, लेकिन एक हफ्ता बीत गया और उसका कोई कॉल या मैसेज नहीं आया।

जब कभी उसकी याद आती, तो मैं उसकी चीजें देखता। मेरे पास उसकी एक ड्रॉइंग बुक थी, और उसके एक पेन और कुछ रंग मेरे पास थे, ऐसी बहुत सी चीजें थीं जिन्हें मैंने स्कूल से संभाल कर रखा था। इस तरह महीने बीत गए और एक साल हो गया। | Pyar Mein Dhokha | प्यार में धोखा |

Pyar Mein Dhokha | प्यार में धोखा

एक साल बाद, उसने मुझे कॉल किया। उस समय मेरी धड़कन तेज हो गई थी। मैं बहुत खुश था क्योंकि मीनाक्षी अब भी मुझे याद करती थी। मैंने कॉल उठाया, और मीनाक्षी बोली, “तुम मुझे भूल गए हो। तुम्हें कोई नई लड़की मिल गई होगी, इसलिए तुम अपने स्कूल की दोस्त को भूल गए।”

हमने एक घंटे तक कॉल पर बात की। उसने मुझे बताया कि वह अब आगे की पढ़ाई के लिए पुणे जा रही है। यह सुनकर मैं बहुत खुश हो गया। मैं भी उसके साथ पुणे जाने का सोच रहा था। मैंने उसे कहा, “अरे, मैं भी पुणे जा रहा हूँ। मैं भी वहाँ क्लासेस ढूंढ रहा हूँ। हम साथ में पुणे जाएँ तो कैसा रहेगा?” | Pyar Mein Dhokha | प्यार में धोखा |

मीनाक्षी ने कहा, “मेरी पुणे में कोई दोस्त नहीं है। अगर हम साथ में जाएँगे तो मैं भी अकेली नहीं पड़ूँगी।” मैंने उसे कहा, “तुम्हारा जिस कॉलेज में एडमिशन हो जाएगा, उसके आस-पास ही मैं क्लासेस लगाऊँगा।” मीनाक्षी ने कहा, “हाँ, ठीक है,” और फिर कॉल रख दी।

उस कॉल के बाद मुझे समझ नहीं आ रहा था कि अब मैं क्या करूँ। मैं इतना खुश था कि रोने लगा। आज उस बात को दो-तीन साल हो गए हैं, लेकिन आज भी मुझे उस कॉल का एक-एक शब्द याद है। खैर, उसके बाद हम साथ में पुणे गए। उसने डी.वाई. पाटिल कॉलेज में एडमिशन लिया और मैंने UPSC की क्लास जॉइन की। मैंने उसके हॉस्टल के पास ही एक रूम देखा, जिसमें पहले से तीन लड़के रह रहे थे।

मैं वहाँ गया और मीनाक्षी के रूम में पहुँचा। वहाँ से हम दोनों साथ में उसके कॉलेज जाते, और फिर मैं पास में ही UPSC की क्लास में जाता। हम साथ में रूम पर लौटते और रविवार को घूमने जाते थे। लेकिन मेरे मन में उसे प्रपोज करने का कोई इरादा नहीं था।

मुझे लगता था कि अगर मैंने उसे प्रपोज किया और उसे अच्छा नहीं लगा, तो वह मुझसे बात करना ही बंद कर देगी। इसलिए मैंने कभी उसे प्रपोज करने के बारे में सोचा ही नहीं। वह हर दिन मेरे साथ रहती थी, और हम साथ में घूमते थे, यही मेरे लिए सब कुछ था। कुछ दिन बीत गए और होली का त्योहार आ गया। | Pyar Mein Dhokha | प्यार में धोखा |

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हम दोनों और हमारे दोस्त होली खेलने के लिए लॉन में गए। होली खेलते समय उसने मुझे रंग लगाया, और जब मैं उसके गाल पर रंग लगाने गया, तो वह थोड़ी नीचे झुक गई, और मैंने उसके बालों में रंग लगा दिया।

मुझे लगा कि उसे गुस्सा आएगा कि मैंने उसके बाल खराब कर दिए हैं, पर उसने मुझे कुछ नहीं कहा और हंसते हुए वहां से चली गई। उस दिन के बाद हम और भी करीब आ गए। हम कभी-कभी मंदिर जाते थे, और एक-दूसरे का हाथ पकड़कर मंदिर के फेरे लेते थे।

एक दिन मीनाक्षी ने मुझसे कहा, “तुमने होली के दिन मेरे माथे पर सिंदूर भी भरा था और हमने भगवान को साक्षी मानकर मंदिर के फेरे भी लिए थे, बस तुमने मुझे मंगलसूत्र नहीं पहनाया।” मैंने उसे जवाब दिया, “हाँ, सही कह रही हो।” फिर मीनाक्षी ने कहा, “तो बोलो, तुम मुझे मंगलसूत्र कब पहना रहे हो?” | Pyar Mein Dhokha | प्यार में धोखा |

यह सुनकर मेरी खुशी का ठिकाना नहीं रहा। ऐसा सुनकर कोई भी इंसान खुश हो जाएगा। मैंने भी उससे कहा, “जल्द ही मैं तुम्हारे लिए मंगलसूत्र लाऊंगा।” उस दिन रात भर मैं सो नहीं पाया, और मैंने अपनी खुशी कैसे व्यक्त करूँ, यह समझ नहीं आ रहा था। (मैंने पूरी रात जागकर अपनी जीवन की कहानी लिखी।)

अगले ही दिन, मैं एक शॉप में गया और मंगलसूत्र देखा। लेकिन मुझे याद आया कि अगर मैंने उसे मंगलसूत्र पहनाया, तो वह अपने घरवालों के सामने इसे नहीं पहन पाएगी। तब मैंने सोचा कि मैं उसे एक चेन दूंगा, जिसे वह किसी के सामने भी पहन सकती है। मैंने कई चेन देखी, लेकिन मुझे कोई भी पसंद नहीं आई। मुझे लगा कि अगर मैंने उसे बेंटेक्स की चेन दी, तो उसे बुरा लगेगा। तब मैं और मेरा दोस्त एक गोल्ड शॉप में गए और वहाँ चेन देखी।

अब मेरे सामने एक समस्या थी। मुझे एक चेन पसंद आई थी, लेकिन उसे खरीदने के लिए मेरे पास 11,000 रुपये नहीं थे। मुझे समझ नहीं आ रहा था कि क्या करूं, लेकिन एक बात तय थी कि मुझे वही चेन लेनी है। अब सवाल था कि 11,000 रुपये कहां से लाऊं। मैंने अपने दोस्तों से पैसे मांगे, लेकिन किसी ने मुझे पैसे नहीं दिए। तब मैंने पापा से झूठ बोलकर पैसे मांगे। मैंने पापा से कहा कि मुझे एक और कोर्स करना है, उसके लिए पैसे चाहिए। | Pyar Mein Dhokha | प्यार में धोखा |

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पापा ने मुझे 11,000 रुपये दिए और बोले, “बेटा, पैसे की चिंता मत कर, तू सिर्फ अपनी पढ़ाई पर ध्यान दे। तुझे कुछ भी चाहिए हो तो बेझिझक मुझसे कह देना।” मैंने उस पैसे से मीनाक्षी के लिए एक चेन खरीदी और उसे अपने हाथों से उसके गले में पहनाया। हम दोनों बहुत खुश थे।

अब हमारा रिश्ता प्यार में बदल गया था, और हमने एक-दूसरे को पति-पत्नी भी मान लिया था। अब हम एक-दूसरे के साथ ज्यादा समय बिताने लगे। हम क्लास से रूम आने के बाद घंटों तक एक-दूसरे से बातें करते थे। अब हमारे रिश्ते को एक साल हो चुका था।

एक साल बीत जाने के बाद, मैंने और मीनाक्षी ने हमारे रिश्ते की पहली सालगिरह मनाई। इस खुशी में हमने पार्टी की और उसमें अपने दोस्तों को भी बुलाया। हमने साथ में केक काटा और खूब मस्ती की। दो महीने बाद, मीनाक्षी मेरे पास आई और कहा कि उसके घरवाले उसके लिए रिश्ते देख रहे हैं और वे जल्द ही उसकी शादी करवाना चाहते हैं। | Pyar Mein Dhokha | प्यार में धोखा |

मैंने इसे मजाक में लिया, मुझे लगा कि वह मुझसे मजाक कर रही है, लेकिन ऐसा नहीं था। वह सच बोल रही थी। तब मैंने कहा, “हम दोनों अपने घरवालों को बताते हैं कि हम एक-दूसरे से प्यार करते हैं।” मीनाक्षी ने कहा, “मेरे घरवाले कभी भी इस शादी के लिए नहीं मानेंगे, क्योंकि मेरी दोनों बहनों की शादी मम्मी-पापा की मर्जी से हुई थी। उन्होंने मुझसे भी कहा था कि कॉलेज जाते समय लड़कों से दूर रहना।”

तब मैंने कहा, “हम एक-दूसरे से प्यार करते हैं। मैं तुम्हारे घर आऊंगा और तुम्हारे मम्मी-पापा से बात करूंगा।” मीनाक्षी ने जवाब दिया, “मेरे पापा तुम्हारा बुरा हाल कर देंगे।” मैंने कहा, “मुझे इससे कोई फर्क नहीं पड़ता कि तुम्हारे पापा मेरे साथ क्या करेंगे। मुझे सिर्फ तुम चाहिए।” मीनाक्षी ने हंसते हुए कहा, “अभी मेरी शादी नहीं हुई है। मेरे मम्मी-पापा ने अभी बस सोचा है। तुम क्यों अपना मूड खराब कर रहे हो? मैं अभी तुम्हारे पास हूँ, और मैंने भी इस बारे में अभी तक कुछ सोचा नहीं है। मैं इस पर कोई समाधान ढूंढती हूँ।”

मीनाक्षी की यह बात सुनकर मेरी धड़कनें धीमी हो गईं, और मुझे थोड़ी राहत मिली। उस दिन के बाद से, मैं उसके बारे में ज्यादा सोचने लगा। मैं यह सोचता रहता था कि अगर मीनाक्षी के मम्मी-पापा के सामने जाने की नौबत आई, तो मैं उन्हें क्या कहूंगा। | Pyar Mein Dhokha | प्यार में धोखा |

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एसे करते-करते चार महीने गुजर गए, और मुझे लगा कि मीनाक्षी के घरवालों ने उसकी शादी का इरादा बदल दिया है। शायद उन्हें लगा होगा कि इतनी जल्दी उसकी शादी नहीं करनी चाहिए। लेकिन मैं गलत था। | Pyar Mein Dhokha | प्यार में धोखा |

उसे उसके पापा का कॉल आया और उसने बताया कि उसे गाँव बुलाया गया है, क्योंकि वहाँ दो लड़के उसे देखने वाले आ रहे थे। मैंने उसे रोकने की बहुत कोशिश की, लेकिन उसने मेरी एक नहीं सुनी और तीन दिनों की कॉलेज की छुट्टी लेकर अपने गाँव चली गई।

जाते समय मैंने उससे कहा था, “मुझे भूल मत जाना और मुझे कॉल करते रहना।” लेकिन उसने मुझे एक भी कॉल नहीं किया। मैं दिन-रात यही सोचता रहता था कि जो लड़के उसे देखने आ रहे थे, उनमें से किसी ने उसे पसंद तो नहीं कर लिया? क्या उसकी शादी तो नहीं हो गई होगी? ऐसे बुरे ख्याल मेरे दिमाग को खा रहे थे, क्योंकि वह तीन दिन में वापस आने वाली थी।

अब उसे गए हुए एक हफ्ता हो गया था, और मुझे समझ नहीं आ रहा था कि मैं क्या करूं। एक हफ्ते बाद, वह पुणे वापस आ गई। उसने आते ही मुझे कॉल किया, और उसे देखकर मेरी जान में जान आ गई।

मैंने उससे पूछा, “कितने दिन हो गए, तुम्हें मेरी एक बार भी याद नहीं आई?” मीनाक्षी ने कहा, “ऐसा नहीं है। मुझे भी तुम्हारी याद आ रही थी, लेकिन मेरी बुआ की लड़की की इंगेजमेंट थी, इसलिए तुम्हें कॉल नहीं कर पाई। मेरी बहन हर समय मेरे पास ही थी।”

मैंने कहा, “ये छोड़ो, तुम्हें जो दो लड़के देखने वाले आ रहे थे, उनका क्या हुआ?” मीनाक्षी ने कहा, “उनमें से एक तो देखने आया ही नहीं, और जो आया, वह पापा-मम्मी को पसंद नहीं आया।” यह सुनकर मैं इतना खुश हुआ कि खुशी से पागल हो गया। मैंने उससे कहा, “तुम जल्दी से मुझसे मिलो, मुझे तुम्हें गले लगाना है।” उसने भी कहा, “मुझे भी तुम्हें गले लगाकर बहुत दिन हो चुके हैं।” | Pyar Mein Dhokha | प्यार में धोखा |

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हम एक कैफे में मिले, और मैंने मीनाक्षी को देखते ही गले लगाया। मैंने उससे कहा, “तुम मुझे छोड़कर कभी मत जाना। अगर मेरे मन में तुम्हारे दूर जाने का ख्याल भी आता है, तो मुझे डर लगता है। मैं तुम्हें कभी खोना नहीं चाहता।” मीनाक्षी ने भी कहा, “मैं भी तुम्हारे साथ ही जीना चाहती हूँ। अगर मैं तुम्हें एक दिन भी कॉल नहीं करती, तो मुझे ठीक से नींद नहीं आती।

ऐसा लगता है कि कुछ बहुत ज़रूरी छूट गया है। हम तीन घंटे कैफे में साथ बैठे रहे। मैंने मीनाक्षी को अपने हाथों से पिज्जा खिलाया, और हमने एक ही मग में कॉफी पी। वह जो सुकून मुझे मिला, वह किसी और ही स्तर का था। मैंने अपने जीवन में कभी नहीं सोचा था कि मीनाक्षी मुझसे कभी प्यार करेगी, लेकिन आज उसका साथ मुझे स्वर्ग की खुशी दे रहा था। | Pyar Mein Dhokha | प्यार में धोखा |

हम दोनों कैफे से एक हिल स्टेशन पर गए और वहाँ साथ में वक्त बिताया। शाम को हम अपने रूम पर लौट आए। दो दिन बाद जब हम दोनों क्लास के लिए जा रहे थे, तब मीनाक्षी ने मुझसे कहा, “मेरी सारी रूममेट्स हर हफ्ते शनिवार और रविवार को अपने गाँव जाती हैं, और मैं अकेली रहती हूँ। क्या तुम कल मेरे रूम पर आ सकते हो?” मैंने मीनाक्षी से कहा, “आज तक मैंने कभी तुम्हारी बातों को टाला है क्या? तो समझो कि मैं आऊंगा।”

फिर मैंने पूछा, “तुम्हारे घर के मालिक कुछ नहीं कहेंगे ना?” उसने कहा, “नहीं, वे यहाँ नहीं रहते। तुम उनकी चिंता छोड़ो और कल आ जाना।” अगले दिन क्लास जाते समय मैंने अपने कपड़े बैग में रख लिए और क्लास खत्म होने के बाद हम दोनों मीनाक्षी के रूम पर चले गए। वहाँ पहुँचते ही उसने अपने हाथों से मेरे लिए चाय बनाई।

हमने साथ में चाय पी और बातें कीं। शाम को छत पर जाकर फिर बातें कीं और साथ में मेस का टिफिन खाया। उस दिन मीनाक्षी का सिर बहुत दर्द कर रहा था। उसने मुझसे कहा, “मेरा सिर दबा दो।” मैंने उसका सिर दबाया और बातें करते-करते वह मेरी बाहों में सो गई। वह जो सुकून था, मैं उसे कभी शब्दों में बयां नहीं कर सकता।

मैं उसे देर तक देखता रहा और वहीं सो गया। उस दिन के बाद मैं हर हफ्ते उसके रूम पर जाने लगा और हम दोनों बहुत सारी बातें और मस्ती करते। | Pyar Mein Dhokha | प्यार में धोखा |

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लेकिन कुछ हफ्ते बीतने के बाद एक दिन ऐसा आया कि शनिवार की रात थी। हम दोनों एक-दूसरे के इतने करीब आ गए कि हमारे बीच बहुत कुछ हो गया। वह रात हमारे लिए चाँदनी रात जैसी थी। वह हमारे जीवन की सबसे खूबसूरत रात थी। अगले दिन मीनाक्षी ने मुझे बताया कि वह कितनी खुश थी। इसके बाद हमने कई रातें साथ में बिताईं।

लेकिन वह खुशी सिर्फ कुछ महीनों की थी। एक दिन, मीनाक्षी ने मुझे लेक्चर खत्म होने के बाद एक पार्क में बुलाया। मैं हर दिन की तरह खुशी-खुशी पार्क में उसके आने से पहले पहुँच गया। वह भी कुछ समय बाद पार्क में आ गई, लेकिन उसके आते ही मुझे कुछ अजीब महसूस हुआ। | Pyar Mein Dhokha | प्यार में धोखा | Real love story hindi |

आज उसने मुझे आते ही गले नहीं लगाया था। वह हर दिन मिलते ही मुझे पहले गले लगाती थी और खुलकर बातें करती थी। मैंने उससे पूछा, “क्या हुआ है?” पर उसने कुछ नहीं बताया। थोड़ी देर बात करने के बाद वह बोली, “मेरा सिर दर्द कर रहा है, मैं रूम जाकर आराम करना चाहती हूँ।” मैंने सोचा कि उसका सिर दर्द हो रहा है, इसलिए उसने मुझे गले नहीं लगाया और ठीक से बात भी नहीं कर पाई।

मैंने उसका सिर दर्द समझ कर छोड़ दिया। लेकिन उसने मेरे साथ बातें करनी कम कर दीं। दो-तीन दिन बाद उसने मुझे कॉल पर कहा, “मुझे तुम्हे कुछ बताना है। मैंने कहा, “बताओ न,” लेकिन उसने कहा, “मैं यह बात कॉल पर नहीं बता सकती, हम कल पार्क में मिलेंगे, तब बताऊंगी।” मैंने कहा, “ठीक है।”

उसने कॉल रख दिया। न उसने “i love you” कहा, न ही गुड नाइट, बस कॉल काट दिया। अगले दिन हम पार्क में मिले, और उसने मुझे आज भी गले नहीं लगाया। मैंने पूछा, “क्या हुआ है? तुम्हें कुछ दिन से ठीक से बात भी नहीं कर रही हो, न ही तुम मुझे गले लगाती हो।

क्या हो गया है तुम्हें? मैंने कुछ गलत किया है क्या?” उसने कहा, “नहीं, मैं तुम्हें एक बात बताना चाहती हूँ, पर तुम उस बात पर गुस्सा मत होना और न ही मुझे गलत समझना। मैंने जो भी किया है, हम दोनों के लिए किया है। तुम मुझे एक वादा करो।” मैंने पूछा, “कौन सा वादा?”

उसने कहा, “मुझे गलत मत समझना, और मैं जो बोलूंगी, वैसा ही करना।” मैंने कहा, “हाँ, मैं वादा करता हूँ कि न तो तुम्हें गलत समझूंगा और न ही कुछ कहूंगा।” वादा करने के बाद उसने मुझे बताया कि उसकी इंगेजमेंट हो चुकी है। | Pyar Mein Dhokha | प्यार में धोखा |

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