“पुकार दिल से दिल तक” | Pukaar Dil Se Dil Tak | ( दर्दभरी प्रेम कहानी )
सर्दियों की एक रात थी, जब कोहरा धरती को अपने आगोश में लिए हुए था। चारों ओर ठंड के साथ एक अजीब सी चुप्पी छाई हुई थी। दिल्ली के बाहरी इलाके में एक छोटा सा गाँव था – जहाँ की गलियों में कम ही लोग दिखाई देते थे। उसी गाँव में एक छोटा सा मकान था, जिसमें एक युवा युगल रहता था – आरव और अनन्या।
आरव और अनन्या का प्रेम किसी परियों की कहानी से कम नहीं था। स्कूल के दिनों में मिले ये दोनों, समय के साथ एक-दूसरे के करीब आ गए थे। आरव अपने मधुर स्वभाव और चमकती आँखों से अनन्या को हमेशा मुस्कान देने में सक्षम था। अनन्या की सादगी और निश्चल प्यार ने आरव को उसके जीवन का हिस्सा बना दिया था।
शादी के बाद, उनका जीवन एक सपने जैसा था। रोज़मर्रा के छोटे-छोटे झगड़े और प्यार भरी छेड़छाड़ उनके रिश्ते को और मजबूत बनाती थी। एक दिन, अनन्या ने आरव से कहा, “चलो कहीं दूर चलते हैं, कुछ दिन सिर्फ तुम्हारे साथ बिताना चाहती हूँ।” आरव ने उसकी बात मान ली और दोनों ने एक छोटी सी ट्रिप का प्लान बनाया। “पुकार दिल से दिल तक” | Pukaar Dil Se Dil Tak |
दोनों ने अपनी कार में सामान रखा और चल पड़े हिमाचल की ओर, जहाँ बर्फीली वादियाँ और ऊँचे पहाड़ उनकी प्रतीक्षा कर रहे थे। उनकी हंसी और बातचीत से रास्ता भी गुलज़ार हो गया था। जैसे-जैसे वे ऊँचाई की ओर बढ़ते गए, मौसम और भी सर्द होता गया। अनन्या ने आरव का हाथ थाम लिया, उसकी ऊंगलियों की गर्मी अनन्या को सुकून दे रही थी।
लेकिन, जैसे ही रात का समय हुआ और कोहरा घना हो गया, वे एक घुमावदार मोड़ पर आ गए। आरव ने गाड़ी की रफ्तार कम की, लेकिन सर्दी और कोहरे के कारण दृश्यता बहुत कम थी। अचानक, एक बड़ा सा ट्रक सामने आ गया और आरव ने गाड़ी को मोड़ने की कोशिश की, लेकिन सड़क फिसलन भरी थी। गाड़ी ने नियंत्रण खो दिया और गहरी खाई में गिर गई।
आरव और अनन्या की चीखें गूंज उठीं और उनकी गाड़ी खाई में लुढ़कती चली गई। गाड़ी के पलटने से अनन्या का सिर बुरी तरह से चोटिल हो गया और वह बेहोश हो गई। आरव ने भी चोट खाई थी, लेकिन उसकी चिंता सिर्फ अनन्या की थी। उसने किसी तरह गाड़ी से निकलकर अनन्या को बाहर निकाला। खून से लथपथ अनन्या की हालत बहुत गंभीर थी।
आरव ने अपने सारे हिम्मत जुटाकर मदद के लिए पुकारा, लेकिन उस सुनसान जगह पर कोई नहीं था। वह अनन्या को गोद में लेकर सड़क की ओर भागा, उसकी आँखों से आँसू थम नहीं रहे थे। अनन्या की धड़कन धीमी होती जा रही थी और आरव उसे बचाने के लिए किसी भी हद तक जाने को तैयार था। “पुकार दिल से दिल तक” | Pukaar Dil Se Dil Tak |
लगभग एक घंटे बाद, एक गाड़ी ने उन्हें देखा और अस्पताल पहुंचाया। डॉक्टरों ने तुरंत अनन्या को ऑपरेशन थियेटर में ले लिया, लेकिन आरव को बाहर ही इंतजार करने को कहा। उसकी आँखों के सामने उन दोनों के साथ बिताए हर पल की तस्वीरें घूमने लगीं। उसकी दिल की धड़कन बढ़ती जा रही थी और वह भगवान से अनन्या के जीवन की भीख मांग रहा था।
कई घंटों के बाद, डॉक्टर बाहर आए और कहा, “हमने पूरी कोशिश की, लेकिन बहुत देर हो चुकी थी।” आरव का दिल टूट गया, उसकी दुनिया अंधेरे में डूब गई। अनन्या की मौत ने उसे अंदर से पूरी तरह तोड़ दिया। वह अस्पताल के गलियारे में गिर पड़ा, उसका दर्द असहनीय था।
अनन्या की अंतिम यात्रा में, गाँव के सारे लोग आए थे। हर कोई उनकी प्रेम कहानी की तारीफ करता था, लेकिन आज सबकी आँखों में आँसू थे। आरव ने अनन्या के बिना जीवन जीने का कोई कारण नहीं देखा। उसकी सारी खुशियाँ, सारे सपने उसी के साथ चले गए थे। वह हर दिन उसकी यादों में जीने लगा, लेकिन उसकी मुस्कान कभी वापस नहीं आई।
इस घटना ने आरव को ऐसा दर्द दिया जिसे वह जीवन भर नहीं भूल सका। अनन्या की पुकार दिल से दिल तक गूंजती रही, लेकिन अब वह पुकार सुनने वाला कोई नहीं था। उनकी कहानी एक दर्द भरी दास्तान बन गई, जिसे सुनकर हर किसी की आँखें नम हो जाती थीं। और इस तरह, प्यार की यह कहानी अधूरी रह गई, लेकिन उनके दिलों की पुकार हमेशा जिंदा रही। “पुकार दिल से दिल तक” | Pukaar Dil Se Dil Tak |
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ओंकार रॉय.
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